Vocational Education in Schools

भारत में स्नातकों को निरक्षर लोगों की तुलना में 16% कम रोजगार मिलता है। इस देश में कैसी विडंबना है!

Himanshu Sharma

8/8/20241 min read

भारत में स्नातकों को निरक्षर लोगों की तुलना में 16% कम रोजगार मिलता है। इस देश में कैसी विडंबना है!

करियर के लिए सही कौशल: क्या भारतीय स्कूली शिक्षा व्यवस्था चूक रही है?

लेखक: हिमांशु शर्मा, संस्थापक - द माइंड प्रिंट

आज के दौर में शिक्षा का लक्ष्य सिर्फ डिग्री हासिल करना नहीं रह गया है। ज़रूरी है कि स्कूली शिक्षा व्यवस्था छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करे, उन्हें उन कौशलों से लैस करे जिनकी मांग नौकरी बाज़ार में लगातार बढ़ रही है। लेकिन क्या भारतीय शिक्षा प्रणाली इस ज़रूरत को पूरा कर पा रही है?

समस्या: कौशल विकास की अनदेखी

हमारी शिक्षा प्रणाली पारंपरिक रूप से परीक्षा-केंद्रित रही है। पाठ्यक्रम थ्योरी पर ज़ोर देता है, व्यावहारिक कौशल विकास की अनदेखी होती है। नतीजा, 10+2 पास करने वाले छात्रों के पास न तो रोज़गार के लिए ज़रूरी कौशल होते हैं और न ही सही करियर का चुनाव करने का स्पष्ट नज़रिया।

समाधान: व्यावसायिक शिक्षा का समावेश

इस समस्या का समाधान है स्कूली शिक्षा व्यवस्था में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल करना। इसका मतलब यह नहीं कि सभी छात्रों को इंजीनियरिंग या फैशन डिज़ाइन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों का प्रशिक्षण दिया जाए। बल्कि, कक्षा 9वीं या 10वीं से ही छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों की बुनियादी जानकारी और व्यावहारिक कौशल सिखाए जाएं।

उदाहरण के लिए, छात्रों को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की बेसिक्स सीखना, डिजिटल मार्केटिंग के बारे में जानकारी देना, या ग्राफिक डिजाइनिंग के शुरुआती सिद्धांत सिखाना उन्हें भविष्य में आने वाली नौकरियों के लिए तैयार कर सकता है।

स्कूलों और शिक्षकों की ज़िम्मेदारी

  • स्कूलों को कैरियर काउंसलिंग सेल की स्थापना करनी चाहिए।

  • शिक्षकों को छात्रों की रूचि और क्षमताओं को पहचानने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

  • स्कूल विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित कर छात्रों को भविष्य के करियर विकल्पों के बारे में जानकारी दें।

माता-पिता का मार्गदर्शन

  • माता-पिता को बच्चों की सिर्फ डिग्री हासिल करने की ज़िद छोड़नी चाहिए।

  • बच्चों की रूचि को पहचानें और उनकी प्रतिभा को निखारने में उनकी मदद करें।

  • कैरियर काउंसलरों से सलाह लें और बच्चों को उनके भविष्य के लक्ष्य निर्धारित करने में सहयोग करें।

चुनौतियां और भविष्य

व्यावसायिक शिक्षा को स्कूली शिक्षा में शामिल करना आसान नहीं है। इसके लिए स्कूलों को बुनियादी ढांचे का विकास करना होगा, शिक्षकों को प्रशिक्षित करना होगा और उद्योग जगत के साथ सहयोग स्थापित करना होगा।

लेकिन यह बदलाव ज़रूरी है। तभी हम अपने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार कर पाएंगे और उन्हें रोज़गार के बेहतर अवसर प्रदान कर पाएंगे।

आपकी राय?

क्या आप व्यावसायिक शिक्षा को स्कूली शिक्षा में शामिल करने के पक्ष में हैं? हमें कमेंट में ज़रूर बताएं।

द माइंड प्रिंट के बारे में अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट देखें: https://www.themindprint.in/

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