बच्चों को कब चुनना चाहिए करियर? जानें सही तरीका और माइंड प्रिंट की भूमिका

करियर का चुनाव बच्चों और अभिभावकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण और अक्सर तनावपूर्ण निर्णय होता है। भारत में, जहां शिक्षा और करियर को लेकर काफी सामाजिक दबाव होता है, यह सवाल और भी प्रासंगिक हो जाता है कि आखिर बच्चे को अपना करियर कब और कैसे चुनना चाहिए।

Himanshu Sharma ( Career Coach )

8/10/20251 min read

कब तय करें Career Path?

यह एक आम धारणा है कि 12वीं कक्षा के बाद ही बच्चे को अपना करियर तय करना चाहिए। लेकिन वास्तविकता यह है कि करियर की दिशा में सोचना और तैयारी करना बहुत पहले शुरू हो जाना चाहिए।

  • 9वीं और 10वीं कक्षा: यह समय करियर के विभिन्न विकल्पों के बारे में जानने और समझने के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान, बच्चे अपनी रुचियों, क्षमताओं और कमजोरियों को पहचानना शुरू कर सकते हैं। साइंस, कॉमर्स या आर्ट्स जैसे स्ट्रीम का चुनाव करते समय, बच्चे को अपनी पसंद को ध्यान में रखना चाहिए, न कि केवल दोस्तों के प्रभाव या माता-पिता की अपेक्षाओं को।

  • 11वीं और 12वीं कक्षा: यह करियर के लिए गंभीरता से तैयारी करने का समय है। इस दौरान, बच्चे को अपने चुने हुए क्षेत्र के बारे में गहन जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और प्रवेश परीक्षाओं या आगे की पढ़ाई के लिए तैयारी शुरू करनी चाहिए।

  • स्नातक स्तर (Graduation): कुछ बच्चों को स्नातक स्तर पर भी करियर की दिशा बदलनी पड़ सकती है। यह बिल्कुल सामान्य है। इस समय, बच्चे को इंटर्नशिप, पार्ट-टाइम जॉब्स या विभिन्न प्रोजेक्ट्स के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करना चाहिए।

सही तरीका क्या है?

करियर का चुनाव एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, न कि तुक्का। यहां कुछ महत्वपूर्ण कदम दिए गए हैं:

  1. स्वयं को पहचानें: बच्चे को अपनी पसंद, नापसंद, ताकत, कमजोरियों और मूल्यों को समझना चाहिए। उन्हें यह सोचना चाहिए कि वे किस काम में खुशी महसूस करते हैं, किस तरह के वातावरण में वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, और उनके जीवन का क्या लक्ष्य है।

  2. करियर विकल्पों पर शोध: इंटरनेट, करियर काउंसलर और विशेषज्ञों से बात करके विभिन्न करियर विकल्पों के बारे में जानकारी एकत्र करें। यह समझना महत्वपूर्ण है कि किसी विशेष करियर में क्या काम करना होता है, क्या कौशल चाहिए, और भविष्य में उसकी क्या संभावनाएं हैं।

  3. वैकल्पिक योजनाएं (Alternate Opportunities): हमेशा एक वैकल्पिक योजना रखें। भारत में, जहां प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है, केवल एक करियर पर ध्यान केंद्रित करना जोखिम भरा हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा डॉक्टर बनना चाहता है, तो उसे बायोलॉजी में अन्य करियर जैसे बायोटेक्नोलॉजी, फार्मास्यूटिकल या मेडिकल रिसर्च के बारे में भी सोचना चाहिए।

  4. माता-पिता की भूमिका: माता-पिता को अपने बच्चों का समर्थन करना चाहिए, उन पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। उन्हें बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए, उनकी रुचियों को समझना चाहिए और उन्हें सही मार्गदर्शन देना चाहिए।

माइंड प्रिंट (Mind Print) कैसे मदद कर सकता है?

करियर के चुनाव में, माइंड प्रिंट एक क्रांतिकारी उपकरण है। यह एक वैज्ञानिक आकलन है जो बच्चे के दिमाग की प्राकृतिक क्षमताओं और विशेषताओं को समझने में मदद करता है। यह किसी व्यक्ति की उंगलियों के निशान और मस्तिष्क के पैटर्न के बीच के संबंध का विश्लेषण करता है, जिसे डर्मेटोग्लिफिक्स (Dermatoglyphics) कहते हैं।

माइंड प्रिंट विश्लेषण से आप ये बातें जान सकते हैं:

  • नैसर्गिक क्षमताएं: बच्चे की जन्मजात क्षमताएं क्या हैं?

  • सीखने का तरीका: बच्चा कैसे सबसे अच्छी तरह से सीखता है?

  • सोचने का पैटर्न: बच्चा तार्किक रूप से सोचता है, रचनात्मक रूप से या भावनात्मक रूप से?

  • व्यक्तित्व के गुण: बच्चे का व्यक्तित्व किस प्रकार का है?

यह जानकारी बच्चे को यह समझने में मदद करती है कि कौन सा करियर उसकी प्राकृतिक क्षमताओं और व्यक्तित्व के साथ सबसे अधिक मेल खाता है। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जिसका माइंड प्रिंट विश्लेषण बताता है कि वह रचनात्मक और कलात्मक है, उसे इंजीनियरिंग के बजाय ग्राफिक डिजाइन या फिल्म निर्माण जैसे क्षेत्रों में अधिक सफलता मिल सकती है।

निष्कर्ष

करियर का चुनाव एक लंबी और विचारशील प्रक्रिया है। सही समय पर सही जानकारी और मार्गदर्शन के साथ, बच्चे अपने भविष्य के लिए सबसे अच्छा निर्णय ले सकते हैं। The Mind Print जैसे वैज्ञानिक उपकरण इस यात्रा को और भी आसान और प्रभावी बना सकते हैं, जिससे माता-पिता और बच्चों दोनों को सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलती है।