Helping Children Thrive in Unhealthy Homes

For many children, home is a sanctuary, a place of comfort and love. But for others, it can be a battleground, filled with tension, arguments, and a constant sense of unease. Growing up in an unhealthy family environment, with fighting parents or the challenges of a single-parent household, can take a significant toll on a child's well-being.

Himanshu Sharma

6/17/20241 min read

Kids Raising in Unhealthy Environment
Kids Raising in Unhealthy Environment

दि माइंड प्रिंट: अशांत घर और बिछड़े माता-पिता: बच्चों के जख्म और सफलता की राह

बचपन बेफिक्री का दौर होता है, लेकिन हर बच्चे का सफर खुशनुमा नहीं होता। कई बच्चों को अस्वस्थ पारिवारिक माहौल, माता-पिता की लड़ाई-झगड़ों या अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। इसका गहरा असर उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है।

बच्चों पर कैसा असर पड़ता है?

  • असुरक्षा और डर: लगातार तनावपूर्ण माहौल बच्चों में असुरक्षा की भावना पैदा करता है। वे हर वक्त डर में रहते हैं कि कब माता-पिता फिर से लड़ने लगेंगे।

  • खुद को दोष देना: बच्चे अक्सर माता-पिता के रिश्ते में आई खटाई के लिए खुद को जिम्मेदार मानने लगते हैं।

  • पढ़ाई में परेशानी: पारिवारिक कलह बच्चों का ध्यान भटकाती है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।

  • आत्मविश्वास की कमी: लगातार नकारात्मक माहौल बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर कर देता है।

  • व्यवहारिक समस्याएं: कई बच्चों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, या खुद को अलगाव में रखने जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।

बच्चों की जिंदगी आसान कैसे बनाएं?

  • बातचीत करें: बच्चों से खुलकर बात करें, उन्हें यह एहसास दिलाएं कि आप उनकी परवाह करते हैं। उनकी भावनाओं को समझें और उन्हें व्यक्त करने दें।

  • सकारात्मक माहौल बनाएं: जितना हो सके घर में सकारात्मक माहौल बनाए रखने की कोशिश करें। बच्चों के साथ हंसे-खेलें, उनकी पसंद की चीजें करें।

  • प्यार और दुलार दें: बच्चों को भरपूर प्यार और दुलार दें। उन्हें सुरक्षित महसूस कराएं।

  • परामर्श लें: अगर स्थिति गंभीर है, तो मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेने में हिचकिचाहट न करें।

शिक्षा में सफलता कैसे पाएं?

  • ट्यूशन या कोचिंग: अगर जरूरत हो, तो बच्चों को ट्यूशन या कोचिंग दिलाएं, ताकि उनकी पढ़ाई में दिक्कत न आए।

  • पढ़ाई का रूटीन बनाएं: बच्चों के साथ मिलकर उनके लिए एक पढ़ाई का रूटीन बनाएं।

  • प्रेरणा दें: उन्हें सफल लोगों की कहानियां सुनाएं और उन्हें प्रेरित करें।

  • उनकी मेहनत को सराहें: बच्चों की मेहनत को सराहें, ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे।

यह याद रखना जरूरी है कि बच्चे परिस्थिति के शिकार होते हैं। उनका कोई दोष नहीं है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करें और बच्चों को एक सकारात्मक वातावरण दें।