Sir Ji Job Lagwa Dijiye Please ( China Vs India Skilled Manpower )

In conclusion, while both countries have a mix of public and private education options, the fees for private and international schooling in both China and India can be quite high. The key difference lies in the accessibility and affordability of government-funded education, which is generally very low-cost in both countries, though the quality and resources can vary. The high cost of education is a significant factor in India's "top-down" approach, where a small percentage of students can afford elite private and international schools, while the majority rely on a vast but often under-resourced public system.

Himanshu Sharma

8/17/20251 min read

चीन बनाम भारत: एक तुलनात्मक विश्लेषण

चीन और भारत दोनों ही दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं और दोनों के पास अपनी-अपनी अनूठी शिक्षा प्रणालियां हैं। हालाँकि, कुशल मानव संसाधन पैदा करने के मामले में चीन भारत से आगे रहा है। यह मुख्य रूप से दोनों देशों के शिक्षा के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण और प्राथमिक स्तर पर इसकी नींव रखने के तरीके के कारण है।

चीन का बॉटम-अप दृष्टिकोण: नींव पर ध्यान

चीन ने अपनी शिक्षा प्रणाली में 'बॉटम-अप' दृष्टिकोण अपनाया है, जिसका अर्थ है कि उसने प्राथमिक शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। 1990 के दशक में, जब भारत का साक्षरता दर 48% था, तब चीन ने इसे 77% तक पहुंचा दिया था। यह प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने और नामांकन दर बढ़ाने के प्रयासों का परिणाम था। इस दृष्टिकोण से करोड़ों लोगों को बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल प्राप्त करने में मदद मिली, जिससे वे खेती से निकलकर औद्योगिक कार्यबल का हिस्सा बन सके।

व्यावसायिक शिक्षा पर जोर

चीन की शिक्षा प्रणाली की एक और खासियत व्यावसायिक शिक्षा पर उसका ध्यान है। प्राथमिक शिक्षा के बाद, छात्रों को मशीन और टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही छात्र व्यावसायिक मानसिकता के साथ सोचने लगते हैं और एक कुशल कार्यबल में परिवर्तित हो जाते हैं। 2010 तक, चीन में 49% टर्शियरी और 16% सेकेंडरी स्कूल के छात्रों ने व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की थी, जबकि भारत में यह आंकड़ा क्रमशः 10% और 1% था।

भारत का टॉप-डाउन दृष्टिकोण: उच्च शिक्षा पर ध्यान

इसके विपरीत, भारत ने शिक्षा में 'टॉप-डाउन' दृष्टिकोण अपनाया, जहाँ शुरुआत में उच्च शिक्षा, जैसे कि IIT और IIM, पर अधिक ध्यान दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, भारत में कुशल इंजीनियरों और आईटी पेशेवरों की एक बड़ी संख्या है, लेकिन प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का आधार उतना मजबूत नहीं है। शिक्षा प्रणाली में गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में खराब बुनियादी ढांचा जैसी समस्याएं भी एक बड़ी चुनौती रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चीन से 5 गुना अधिक स्कूल हैं, फिर भी देश में 10 लाख से अधिक शिक्षकों की कमी है।

प्राथमिक स्तर पर प्रभाव

यह अंतर प्राथमिक स्तर पर सबसे अधिक स्पष्ट होता है। जहां चीन ने प्राथमिक स्कूलों से ही बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है (उदाहरण के लिए, उन्होंने हाल ही में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई को अनिवार्य किया है), वहीं भारत में प्राथमिक शिक्षा में व्यावहारिकता और कौशल विकास की कमी देखने को मिलती है। भारत में शिक्षा प्रणाली परीक्षा-उन्मुख है, जहाँ छात्रों को केवल परीक्षा पास करने के लिए तैयार किया जाता है, न कि आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान की क्षमताओं को विकसित करने के लिए।

निष्कर्ष

संक्षेप में, चीन की शिक्षा प्रणाली का 'बॉटम-अप' और व्यावसायिक दृष्टिकोण उसे एक विशाल और कुशल कार्यबल तैयार करने में मदद करता है। प्राथमिक स्तर पर मजबूत नींव और कौशल विकास पर जोर, चीन को तकनीकी और आर्थिक रूप से भारत से आगे निकलने में मदद करता है। भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करके, विशेष रूप से प्राथमिक और व्यावसायिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करके, इस अंतर को कम करने की आवश्यकता है।